“बड़े भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्ति गावा ॥”
• श्री मद्गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपनी अनन्य कृति “श्रीमद्रामचरितमानस “जी में कई स्थानों पर मानव जीवन और मानव तन के महत्त्व पर प्रकाश डाला है. मानव जीवन प्राप्त करने के पश्चात यदि इस स्वाभिमान से न जिया तो इस तन और जीवन का क्या लाभ ।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही “स्वाभिमान की आवाज़ ना की स्थापना की गई है। वे जो कर्मबाधा के चलते वंचित हैं, हीन हैं, अंजान है, असमर्थ हैं और भ्रमित हैं, उनकी मदद करने, उन्हें राह दिखाने और उनके स्वाभिमान से उनका साक्षात्कार कराने के लिए “स्वाभिमान की आवाज़ ” एक सशक्त माध्यम है! समाज के उत्थान एवं बेहतर निर्माण के लिए प्रतिबद्धता से कार्यरत संस्था है- • स्वाभिमान की आवाज़ “।
YEARS OF CARE
“फिरत सदा मामा कर प्रेरा । काल कर्म सुभाव गुन घेरा ॥ ” श्रीमद्गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि मानव (जीव ) माया की प्रेरणा से काल, कर्म, स्वभाव और गुण से घिरा हुआ (इनके वश में) सदा भटकता रहता है। वर्तमान में चहुँ दिश कर्मबंधन में बंधे लोग स्वाभिमानी जीवन और कई स्था पर तो जीवन के लिए संघर्ष करते नज़र आते हैं। इंसान स्वाभिमानी जीवन
तभी जी सकता है जब वह मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके।
१. स्वच्छ भोजन / पानी
२. स्वास्थ्य ३. शिक्षा ४. रोजगार
५. स्वच्छ वातावरण ६. सम्मान ७.
समाज का अभिन्न, अतुल्य, स्वाभिमानी, समर्थ, जिम्मेदार हिस्सा होने के नाते जहाँ तक संभव हो सके वंचितों और भूमितों में को मदद देकर राह दिखाकर, समर्थ बनाकर स्वाभिमानी बनाने की यह प्रेरणा वर्तमान हालातों, परमात्मा की कृपा और पूर्वजन्म के पूष्यों से प्राप्त हुई।
“नर तनु भव बारिधि कहुँ बेरो। सन्मुख मरुत अनुग्रह मेरो ।। करनचार सद्गुर हद नावा। दुर्लभ साज सुलभ करि पावा ||”
• मनुष्य शरीर भवसागर तरने का न केवल सर्वोत्तम बल्कि / अपितु प्रथम व अंतिम साधन भी है। परोपकार ही कुंजी है। इसलिए सामर्थयव होने के साथ-2 दूसरों को समर्थ बनाना सबसे बड़ा काम है। एक व्यक्ति सबको समर्थ नहीं बना सकता लेकिन अपने प्रयास से कड़ी बनाकर हम यह संभव कर सकते हैं। इस महायज्ञ में अपने सामर्थय की सामग्री से किसी का स्वाभिमान बनाएं और राष्ट्र के स्वाभिमान” को दृढ़ता से मज़बूत करें।
हमारा मिशन सभी के लिए आत्मनिर्भरता और गरिमा को बढ़ावा देते हुए जरूरतमंद लोगों को सशक्त बनाना और उनका उत्थान करना है।
हमें लगता है कि प्रत्येक बच्चे को उच्च शिक्षा तक पहुंच प्राप्त होनी चाहिए क्योंकि इससे सशक्तिकरण होता है।
हमारी दृष्टि एक ऐसी दुनिया बनाने की है जहां हर व्यक्ति के पास स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुंच हो।
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